प्रश्न (राजेश के. दूबे) : मानसिक तनाव को अध्यात्म के जरिए कैसे ठीक किया जा सकता है?

ब्रह्मबोधि
Jun 15, 2025
तनाव और अवसाद एक महामारी की तरह है। इनसे कैसे निपटें, इनका स्थायी समाधान क्या है, इसका उत्तर इस चर्चा में है।
1. मानसिक तनाव के विविध कारण
मानसिक तनाव के अनेक कारण हो सकते हैं। यदि आर्थिक अभाव के कारणों से मानसिक तनाव हो रहा है तो वित्तीय स्थिति अच्छी होने से मानसिक तनाव कम जाता है। यदि स्वास्थ्य के कारण मानसिक तनाव रहता है तो स्वास्थ्य बेहतर होने से वह तनाव खत्म हो जाता है। यदि पति या पत्नी से संबंध अच्छे नहीं रहने पर तनाव होता है तो वह संबंध बेहतर बनने से तनाव खत्म हो जाता है। यदि केस मुकदमे के कारण तनाव है तो वह मुकदमे के सुलझ जाने से तनाव खत्म हो जाता है।
2. तनाव: एक सामान्य लेकिन गहन शब्द
तनाव एक जेनेरिक टर्म है, एक सामान्य शब्द है। यह मानसिक तनाव असंख्य कारणों से हो सकता है।
3. क्या अध्यात्म सभी तनावों का समाधान है?
लेकिन अध्यात्म से यह सभी तनाव कम या खत्म हो सकते हैं। लेकिन 'अध्यात्म' भी एक जेनेरिक टर्म है, सामान्य शब्द है। इसके कई मतलब होते हैं। अध्यात्म की ऐसी भी शाखाएं हैं कि जिनसे तनाव बढ़ सकता है। इसलिए यदि सटीक तौर पर कहना है तो हम ऐसा कह सकते हैं कि यदि गीता द्वारा शिक्षित अध्यात्म के पीछे चलते हैं तो हमारे सारे तनाव खत्म हो सकते हैं।
4. गीता का अध्यात्म: तनाव निवारण का विशिष्ट मार्ग
तब सवाल यह उठेगा कि गीता द्वारा शिक्षित अध्यात्म क्या है।
5. गीता न पढ़ने वालों में भी कुछ तनाव-मुक्त क्यों?
लेकिन इसके पहले मैं आपको यह बता दूं कि आपको थोड़े से लोग ऐसे भी मिल सकते हैं जिन्होंने गीता नहीं पढ़ी लेकिन ज्यादातर तनाव मुक्त रहते हैं, चाहे जैसी भी परिस्थितियाँ हो।
6. दृष्टिकोण ही वास्तविक कारण है
वास्तव में तनाव का संबंध सिर्फ परिस्थितियों से नहीं होता है बल्कि हमारी विश्व दृष्टि से या जीवन दृष्टि से भी होता है कि हम किस घटना को, किस स्थिति को, किस नजरिए से लेते हैं।
7. विकसित देश, अधिक तनाव
आप यह पाएंगे कि आजकल अवसाद या डिप्रेशन, जो एक प्रकार का तनाव ही है, दुनिया में महामारी की तरह फैल रहा है। जो देश जितना ही "विकसित" माना जा रहा है वहां वह अवसाद उतना ही अधिक है।
8. हमारे पूर्वज: अभाव में भी संतोष
हमारे पूर्वज भी बड़े अभाव में रहते थे, गरीबी में रहते थे, लेकिन संतुष्ट रहते थे। भारत में उनमें से कुछ की जीवन दृष्टि यह थी कि "हारिए न हिम्मत, बिसारिए ना हरि नाम। जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए!" यह पंक्ति उन्हें याद नहीं भी हो तो भी जीवन दृष्टि यही रहती थी।
9. उपभोक्तावाद: आधुनिक तनाव का कारण
आज अगर कुछ देर के लिए बिजली चली जाती है तो लोग तनाव में आ जाते हैं। उस समय बिजली थी ही नहीं, फिर भी तनाव नहीं था। आज हम तनाव में इसलिए रहते हैं क्योंकि हमारी जीवन दृष्टि उपभोक्तावादी हो गई है।
10. जीवन दृष्टि ही समाधान है
तो बिना गीता पढ़े भी जीवन दृष्टि अगर एक खास तरह की हो तो तनाव मुक्त रहा जा सकता है। लेकिन भगवत गीता की जो जीवन दृष्टि है या विश्व दृष्टि है, वह उस अनाम जीवन दृष्टि से भी अधिक कारगर है, जिसकी चर्चा मैंने की।
11. गीता की दृष्टि अपनाने से तनाव समाप्त
इस जीवन दृष्टि को प्राप्त करने के लिए गीता को पढ़ना पड़ेगा, समझना पड़ेगा। संक्षेप में मैं बता दूं कि यदि आप कर्म योग की जीवन दृष्टि ग्रहण कर लेते हैं, अथवा शरणागति योग की कर लेते हैं, अथवा ज्ञान योग की कर लेते हैं, तो आप तनाव मुक्त रहेंगे। इन सभी की जीवन दृष्टि ग्रहण कर लेते हैं, तब तो कुछ कहना ही नहीं है।
12. गीता की दृष्टि को जानने की प्रक्रिया
अब आप कहेंगे कि गीता की जीवन दृष्टि का पूरा विवरण मुझे देना चाहिए।
किसी एक पोस्ट में, इस छोटे फोरम में, यह बात देना संभव नहीं है। ग्रुप में बने रहिए, पोस्ट पढ़ते रहिए, वीडियो देखते रहिए।
13. आत्ममंथन: क्या आपने प्रयास किया?
आपको तनाव मुक्त करने के लिए ही मैंने कर्म योग पर दो बार वेबिनार किया। क्या आपने एक बार भी अटेंड करने का कष्ट किया?
अपने आप से पूछिए।